Friday, June 13 ,2025

Triglycerides meaning in hindi : ट्राइग्लिसराइड्स क्या होता हैं? जानिए ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ने के कारण, लक्षण और उपचार


triglycerides meaning in hindi

हम सबकी ज़िंदगी इतनी व्यस्त हो गई है कि किसी के पास दूसरे के लिए तो छोड़िए अपने खुद के लिए समय नहीं है। हम बहुत-सी चीज़े नजरंदाज कर देते हैं और इसी कारण आगे जाकर कुछ समस्या गंभीर बन जाती है। ऐसी गंभीर बीमारियों में सबसे ऊपर दिल से जुड़ी समस्याएं शामिल है और दिल से संबंधी बीमारियाँ होने की वजह ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल बढ़ना है। ट्राइग्लिसराइड्स के बढ़ने के कारण व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। आज इस ब्लॉग के जरिए हम विस्तार से जानेंगे कि ट्राइग्लिसराइड्स क्या है? इसके बढ़ने के कारण, लक्षण और उपचार। 

 

ट्राइग्लिसराइड्स क्या है? (What are triglycerides in Hindi?)

 

हमारे शरीर में बहुत से फैट मौजूद होते हैं कुछ अच्छे होते हैं तो कुछ बुरे भी होते हैं। अगर फैट की मात्रा शरीर में अधिक होने लग जाए तो बुरे प्रभाव डालने लग जाता है और उसमें शामिल है ट्राइग्लिसराइड्स। यह हमारे खून में फैलता है। यह हमारे शरीर में दो तरीके से फैलता है, पहला हमारा शरीर खुद ही इसका निर्माण करता है और दूसरा भोजन के जरिए यह हमारे शरीर में प्रवेश करता है। यह वही फैट है, जिसकी मदद से हमारे शरीर को ऊर्जा मिलती है जिसकी मदद से हम काम कर पाते हैं। 

अच्छी और बेहतर सेहत के लिए ट्राइग्लिसराइड्स का कुछ प्रतिशत होना अच्छा माना जाता है। लेकिन यह जरूरत से ज्यादा शरीर में उपलब्ध होने लगेगा, तो यह समस्याएं पैदा करने  लग जाता है। वैसे तो खून में हाई ट्राइग्लिसराइड्स दिल की कोई बीमारी या स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर और शुगर आदि का कारण बन सकता है। आप एक स्वस्थ और बेहतर जीवनशैली को अपनाते है, तो ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल को कम या सामान्य बनाए रख सकते हैं। 

 

ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ने के कारण (Reasons for increased triglycerides in Hindi)

 

जब शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल सामान्य होता है तो शरीर स्वस्थ रहता है, लेकिन जब यह बढ़ने लगता है तो शरीर को हानि पहुंचना शुरू कर देता है। तो आइए जानते और समझते है कि जब शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ने लगता है तो उसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं - 

  1. ट्राइग्लिसराइड्स लेवल के बढ़ने की एक बड़ी वजह आनुवंशिक है। 

  2. जब आप अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट आहार का सेवन करते हैं तो यह शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ने लग जाता है।

  3. किसी भी नशीले पदार्थ जैसे शराब या सिगरेट का सेवन करने से ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल बढ़ सकता है। 

  4. वसायुक्त चीजों का अधिक सेवन भी ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ने का कारण हो सकता है।  

  5. अगर अधिक मात्रा में चीनी का सेवन करते हैं तो यह भी ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ने का कारण हो सकता है। 

  6. सही समय पर उचित आहार का सेवन न करना भी ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल को बढ़ा सकता है।

  7. अगर आप डायबिटीज या किसी अन्य किसी विशेष बीमारी से ग्रस्त है तो यह भी एक कारण हो सकता है।

  8. अगर आप किडनी की बीमारी से ग्रस्त है तो यह भी ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल को बढ़ा सकता है। 

  9. जब शरीर पर मोटापा बढ़ाने लग जाए तो समझ लीजिए कि ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल बढ़ने लग गया है।

  10. थायराइड के हाइपोथायरायडिज्म के प्रकार में ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल में बदलाव देखा जाता है। 

  11. शारीरिक रूप से अक्रिय होने पर भी ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल में बदलाव आ सकता है। 

  12. गर्भावस्था के दौरान भी ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर में बदलाव देखा जा सकता है। 

  13. अधिक दवाइयों के सेवन से भी कई बार ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल पर प्रभाव पड़ सकता है।

 

हाई ट्राइग्लिसराइड्स लेवल के क्या लक्षण हो सकते हैं ? (What are the symptoms of high triglycerides levels in Hindi?)

 

शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स के बढ़ते स्तर को पहचान पाना आसान नहीं है। इसके बढ़ते स्तर की जांच के लिए आपको अस्पताल में हार्ट के डॉक्टर से समय-समय पर जांच करानी पड़ती है। आनुवांशिकता के कारण त्वचा पर ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ने के लक्षण देखे जा सकते हैं। इसमें त्वचा के नीचे फैटी डिपॉजिट्स (Fatty Deposits) नज़र आने लगते हैं।

वैसे तो हाई ट्राइग्लिसराइड्स लेवल का लक्षण नज़र नहीं आते हैं। अनुपचारित या अनियंत्रित हाई ब्लड ट्राइग्लिसराइड लेवल के कारण कोरोनरी हृदय रोग (Coronary heart disease) और हार्ट स्ट्रोक जैसी गंभीर स्थिति के जोखिम को बढ़ा सकता है। बहुत ज्यादा ट्राइग्लिसराइड्स लेवल पेनक्रियाज (pancreas) या फिर एक्यूट पैन्क्रियाटाइटिस (Acute pancreatitis) में सूजन के खतरे को बढ़ा सकता है। जिसकी वजह से पेट में गंभीर दर्द भी महसूस कर सकते हैं। आइए अब जानते हैं ट्राइग्लिसराइड्स के कुछ लक्षणों के बारे में:- 

पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द

जब खून में ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा बढ़ने लगती है, तो पेनक्रियाज में सूजन आने लग जाती है। जिस वजह से पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होने लग जाता है और इस कारण व्यक्ति को तेज बुखार, मतली, उल्टी जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

हाथ और पैरों में छोटे व पीले रंग के धब्बे

ट्राइग्लिसराइड के बढ़ने के कारण ज़ैंथोमा (Xanthomas) की समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति की त्वचा के अंदर फैट जमा होने लग जाता है, जिससे खून के रंग में भी बदलाव दिखाई देने लगता है। 

धमनियों में ब्लॉकेज होना 

जब भी खून में ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ने लगता है, तब व्यक्ति का खून गाढ़ा होना शुरू हो जाता है। इस वजह से धमनियां सख्त हो जाती हैं और इसी वजह से धमनियाँ आपस में चिपकने लग जाती है। इन सबकी वजह से फिर शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल भी बढ़ने लगता है। जिससे शरीर में खून के बहाव में रुकावट आना शुरू हो जाती है, जो स्ट्रोक और हार्ट अटैक जैसी समस्या के खतरे को बढ़ा देता है। 

 

ट्राइग्लिसराइड्स कम करने के उपाय अपनाएं (Take measures to reduce triglycerides in hindi)

 

ट्राइग्लिसराइड लेवल को नियंत्रित करने के लिए आप आहार के साथ-साथ कई चीजों को ध्यान में रखकर अपने ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम कर सकते हैं। आइए जानते हैं ट्राइग्लिसराइड कम करने के लिए कुछ कारागार उपायों के बारे में -

मीठे खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन न करें

मीठे खाद्य पदार्थ का अधिक सेवन शरीर में ट्राइग्लिसराइड के स्तर को बढ़ाने में अहम वजह है। मिठाई, कुकीज़, मीठे पेय पदार्थ, पेस्ट्री आदि का अधिक सेवन ट्राइग्लिसराइड लेवल के बढ़ने के पीछे का कारण हो सकता हैं, इसलिए इनकी मात्रा को सीमित कीजिए। इसके स्थान पर फल या फल के रस का सेवन कर सकते हैं। 

होल ग्रेन्स को चुनें

प्रोसेस्ड फूड का न सेवन करके, आप होल ग्रेन्स को चुनें। इससे ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल को कम किया जा सकता है। आप जई, क्विनोआ, मल्टीग्रेन चपाती, जौ और बाजरा आदि जैसी चीजों को अपनी डाइट शामिल कर सकते हैं। 

लाल मांस की जगह मछली को प्राथमिकता दें

मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड मौजूद होता है जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। लाल मांस ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल को बढ़ा सकता है, इसलिए आप इसका सेवन कम से कम ही करें। 

मेवे और हरी सब्जियां खाएं

आप अपनी डाइट में फाइबर और स्वस्थ वसा को बढ़ा सकते हैं जिसके लिए आप ड्राई फ्रूट्स और सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें। आप पालक, केल और स्विस चार्ड जैसी हरी सब्जियों को मुख्य रूप से अपने आहार में बढ़ा सकते हैं। 

उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ चुनें या चयन करें

फाइबर ट्राइग्लिसराइड्स और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मददगार है। आप बीन्स, होल ग्रेन्स जैसे कि ओट्स और ब्राउन राइस, नट्स, पालक, चिया सीड्स, अलसी, फल और सब्जियों को अपनी डाइट में शामिल कीजिए।  

स्वस्थ तेलों का इस्तेमाल करें

आपके घर में इस्तेमाल हो रहे सैचुरेटिड फैट वाले तेल को मोनोअनसैचुरेटेड फैट तेल (MUFA) के साथ बदलें। आप जैतून का तेल, कैनोला तेल, चावल की भूसी का तेल और सोयाबीन के तेल का सेवन शुरू कर सकते हैं। 

आदतें सुधारे 

आप अपनी कुछ आदतों में सुधार लाए जैसी कि समय से सोना या समय से भोजन करना और सही पर्याप्त मात्रा में पानी पीना आदि। 

आहार में प्रोटीन शामिल करें

आपनी डाइट में सोया प्रोटीन को शामिल करें जैसे कि टोफू, टेम्पेह, सोया मिल्क और एडामे आदि। ऐसे खाद्य पदार्थ आपकी सेहत के लिए बहुत ही लाभकारी साबित हो सकते हैं। 

हाइड्रेटेड रहें

पूरे दिन में पर्याप्त मात्रा यानि 10 से 12 गिलास पानी पीने का प्रयास करें। ऐसा करने से पाचन तंत्र और मेटाबॉलिज्म में सुधार आएगा। इससे आपके समग्र स्वास्थ्य में भी बदलाव देखा जा सकता है। 

स्वस्थ वजन बनाए 

आप 5 से 6 किलो वजन को कम करने का प्रयास करें, जिससे ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्रॉल कम हो जाए। इससे आप अपनी कई स्वास्थ्य समस्याएं दूर कर पाएंगे।  

नियमित रूप से व्यायाम करें

नियमित व्यायाम करने से बहुत से स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है, साथ ही गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने और बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी काफी मदद मिलती है। 

धूम्रपान और शराब का सेवन सीमित करें

शराब और धूम्रपान के कारण ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ सकता है। कुछ लोगों के लिए धूम्रपान और शराब छोड़ना मुश्किल है लेकिन आप इनके सेवन को सीमित करके भी अपनी सेहत को थोड़ा बेहतर बना सकते हैं। ऐसा करने ट्राइग्लिसराइड्स के बढ़ें हुए लेवल को भी कम किया जा सकता हैं। 

 

नोट: 

ट्राइग्लिसराइड्स को कंट्रोल करना आसान है बस थोड़ी से बातों का ध्यान रखने की जरूरत है, जिससे आप की सेहत बेहतर बनी रहेगी।